गुरुवार, 7 मार्च 2013

दोस्त


कोई किसी से ठेस पाता है तो किसे याद करता है.....
कोई ऐसी बात जिसे अंदर दबाए रखना ऐसा प्रतीत हो की जैसे गर्म कोयला दिल में जल रहा हो.....
उस गर्म कोयले को नर्म ओस की बुंदों में कौन  बदलता है......
शायद भगवान , शायद दोस्त .......।
दोस्त .....
एक  ऐसा शब्द ..... एक ऐसा ऐहसास.... जिसे जेहन  में लाने भर से ही बड़ी से बड़ी समस्या क्षीण लगने लगती है। एक ऐसा शख्स जिसके सामने... हम जो हैं वैसे ही रहते है .... कोई मुखौटा नहीं, कोई औपचारिकता नहीं।

हमारी हर बात जो उसे पंसद हो या ना हो.... उतने ही ध्यान से सुनना जितना हम जान न पायें की वो उब रहा हो। गलती कोई करे ..... पर एक साथ ये कहना कि " अरे हम फँस गए "

एक  ऐसा रिश्ता जो शब्दों से परे होता है। एक ऐसा शख्स जिससे कभी  "ना" शब्द नहीं सुना हो। दोस्त जो अपना सर्वस्व सर्मपण करने के बाद भी कहे की " कुछ चाहिए तो बताना "।

लोग तो सिर्फ चेहरा परखते है दोस्त तो हमेशा दिल की बात जान लेते है।
जिनके बीच प्रतिद्वन्ता जैसी कोई चीज ही नहीं होती है और अगर होती भी है तो एक दुसरे के जीत के लिए।
जीवन के उतार-चढ़ाव में हर कदम पे जो हमारे साथ होता है......

दोस्त ......
जिससे मनमुटाव करने के बाद ...... जीना मुश्किल हो जाता है।
जिससे माफी माँगने पर थप्पर मार दे और बोले " तेरे बिना दिल नहीं लग रहा था यार "

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